हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल भाद्रपद या भादो मास की कृष्ण पक्ष की पष्ठी तिथि को हलछठ का त्योहार मनाया जाता है। इस सुहागिन महिलाएं अपने पुत्र की लंबी आयु और समृद्धि की कामना के लिए उपवास रखती हैं। इस साल हलछठ व्रत 18 अगस्त को मनाया जाएगा। हलछठ के दिन महिलाएं पुत्र के हिसाब से छह छोटे मिट्टी के बर्तन या पात्र में पांच या सात अनाज या मेवा भरती हैं।
अलग-अलग नामों से प्रचलित
हलछठ के त्योहार को देशभर में अलग-अलग नामों से जाना जाता है। गुजरात में इसे राधन छठ को कहीं यह पर्व हलषष्ठी, हलछठ , हरछठ व्रत, चंदन छठ, तिनछठी, तिन्नी छठ, ललही छठ, कमर छठ, या खमर छठ के नामों से भी जाना जाता है।
हलछठ व्रत पूजा विधि
सुबह जल्दी स्नान के बाद साफ वस्त्र धारण करने चाहिए। फिर विधि-विधान से पूजा-अर्चना कर निराहार व्रत रखें। फिर शाम के समय पूजा के बाद फलाहार लिया जाता है। मान्यता है कि इस व्रत को रखने से संतान को लंबी आयु और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।