ऋषि तिवारी
नई दिल्ली। महाराजा अग्रसेन मॉडल स्कूल, पीतमपुरा के खिलाफ सोमवार को सैकड़ों अभिभावकों ने विरोध प्रदर्शन किया है और उनका आरोप है कि महाराजा अग्रसेन मॉडल स्कूल ने बिना शिक्षा निदेशालय की मंजूरी फीस में बढ़ोतरी की है और जबरन बढ़ी हुई फीस वसूली जा रही है। 200 से ज्यादा अभिभावकों ने आज न्याय की मांग के साथ शिक्षा निदेशालय के सामने विरोध प्रदर्शन किया है। दिल्ली पैरेंट्स एसोसिएशन की अध्यक्ष अपराजिता गौतम ने बताया कि स्कूल की ओर से गैर कानूनी फीस की मांग के चलते अभिभावकों को लगातार लीगल नोटिस मिल रहा हैं। जिनसे वो काफी परेशान हैं।
शिक्षा निदेशालय मंजूरी के बिना मनमाने तरीके से फीस वसूली
अभिभावक हितेश जैन ने बताया है कि स्कूल शिक्षा निदेशालय (डीओई) की मंजूरी के बिना मनमाने तरीके से फीस की वसूली की जा रही है और उनके दो बच्चे स्कूल में पढ़ते हैं। 2018 से अब तक स्कूल ने ज्यादा फीस बढ़ा दी है और इस साल भी फीस में 20 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी की गई है. जबकि, शिक्षा निदेशालय से स्कूल को फीस बढ़ाने की अनुमति नहीं मिली है। इसलिए हम शिक्षा निदेशालय के अधिकारियों से अपनी शिकायत करने आए थे। लेकिन, हमारी बात नहीं सुनी गई और मजबूर होकर हमें प्रदर्शन करना पड़ रहा है।
स्कूल के खिलाफ कार्रवाई ना करने का आरोप
अभिभावकों ने आरोप लगाया है कि शिक्षा निदेशालय भी स्कूलों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है और हम कई बार निदेशालय में स्कूल द्वारा अवैध फीस वसूली की शिकायत कर चुके हैं। प्रदर्शन के लिए सुबह 10 बजे से ही अभिभावक शिक्षा निदेशालय के बाहर पहुंचने शुरू हो गए थे। अभिभावकों के हाथ में फीस वृद्धि के खिलाफ कई तरह के स्लोगन लिखी तख्तियां थीं. हालांकि, उन्हें पुलिस ने धारा 144 लगे होने की भी बात कही, लेकिन अभिभावक नहीं रुके और उन्होंने अपना प्रदर्शन करीब दो घंटे तक जारी रखा। साथ ही वहां एक बॉक्स लेकर शिक्षा अधिकारियों को स्कूल पर कार्रवाई करने के लिए रिश्वत देने के लिए चंदा एकत्रित कर प्रतीकात्मक रूप से भी विरोध किया।
बच्चों का नाम काटने की दी जा रही धमकी
अभिभावक प्रियंका जैन ने बताया है कि उनके भी दो बच्चे स्कूल में पढ़ते हैं. स्कूल ने बच्चों का नाम काटने की धमकी दी है। उन्होंने कहा कि कोई अधिकारी बिना रिश्वत लिए काम नहीं करता इसलिए रिश्वत देने के लिए हम चंदा एकत्रित कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि हमारे द्वारा पिछले छह महीनों में शिक्षा विभाग के आदेशों को लागू करवाने के लिए बार-बार प्रयास करने के बावजूद, शिक्षा विभाग द्वारा स्कूल के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है।