डीएवी पब्लिक स्कूल नोएडा में “वेद सप्ताह “का भव्य समापन

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ऋषि तिवारी


नोएडा। डीऐ वी स्कूल नोएडा में चलने वाले वेद सप्ताह में आर्य समाज के तत्वाधान में कई आयोजन किए गए जिसके समापन समारोह में आज इस कार्यक्रम का शुभारंभ वैदिक परंपरा का निर्वाह करते हुए यज्ञ से किया गया जिसमें विद्यार्थियों, अभिभावकों तथा अध्यापकों ने अर्थववेद के मंत्रों की आहुतियॉं दी। पूर्णाहुति एनके ऑबेरॉय(विद्यालय केचेयरमैन), मैनेजर चित्रा नाकरा, प्रधानाचार्या चित्राकांत द्वारा दी गई। तत्पश्चात सांस्कृतिक कार्यक्रम के आरंभ में प्रधानाचार्या श्रीमती चित्राकांत ने सर्वप्रथम विद्यालय के चेयरमैन श्री एन के ऑबेरॉय, मैनेजर श्रीमती चित्रा नाकरा एवं ग़ाज़ियाबाद स्थित संन्यास आश्रम के स्वामी सत्यवेश जी एवं साध्वी गायत्री देवी का पुष्पों द्वारा स्वागत किया।

इसी क्रम में विद्यार्थियों द्वारा भक्ति गीत प्रस्तुत किया गया। तत्पश्चात् प्रधानाचार्या श्रीमती चित्रा कांत ने वेद सप्ताह के अंतर्गत किए गए कार्यक्रम एवं छात्रों के संपूर्ण विकास एवं सुरक्षा से संबंधित आयोजित कार्यशालाओं का ब्यौरा दिया। तदुपरांत विद्यालय के धर्माचार्य करण सिंह जी ने वेद की शिक्षाओं एवं आर्य समाज की विशिष्टताओं की संक्षिप्त व्याख्या की। ईश्वरोपासना मंत्रों के गायन व वेद के सार को नृत्य नाटिका द्वारा प्रस्तुत किया गया ।विद्यालय के श्री एन के ऑबेरॉय ने वेदों की शिक्षाओं को जीवन में उतारने की प्रेरणा दी। विद्यार्थियों ने ओम का सिमरन किया करो,मधुर गीत गाकर प्रस्तुत श्रोताओं को मंत्र मुग्ध कर दिया। तत्पश्चात् स्वामी सत्यवेश ने अपने मधुर वाचन के द्वारा विद्यार्थियों को यज्ञ तथा वैदिक मूल्यों को अपने जीवन में उतारने व स्वाध्याय व दूसरों के साथ बॉंटने की सीख दी। मैनेजर चित्रा नाकरा ने कहा वेद ज्ञान का भंडार है।

वेद हमें स्वयं को समझने की समझ उत्पन्न करते हैं। पारस्परिक सामंजस्य, वैश्विक सौहार्दता के संदेश देते हैं। इनका अनुसरण कर हम जीवन को सार्थक बना सकते हैं। वैदिक शिक्षा का अनुसरण करके ही नए भारत के विकास में अपना योगदान दे सकते हैं। विद्यालय की प्रिन्सिपल श्रीमती चित्रा कांत ने कहा कि वेदों की वाणी तथा उनका सार अपने जीवन में उतार कर ही जीवन को सफल बनाया जा सकता है। अभिभावकों ने विद्यालय में किए गए इस कार्यक्रम की भूरि भूरि प्रशंसा की तथा कहा कि उन्हें गर्व है कि उनके बच्चे इस विद्यालय में पढ़ रहे है तथा सद्गुणी बन रहें हैं।

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