गुरु पूर्णिमा केवल एक पर्व नहीं, बल्कि आत्मबोध, आत्मचिंतन और आध्यात्मिक उन्नति का पर्व है : बी के शर्मा हनुमान

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संदिप कुमार गर्ग


विश्व ब्रह्म ऋषि ब्राह्मण महासभा के पीठाधीश्वर ब्रह्मऋषि विभूति बीके शर्मा हनुमान ने श्रीमत्परमहंस परिव्राजकाचार्य श्रोत्रिय ब्रह्मनिष्ठ अनन्तश्रीविभूषित जूनापीठाधीश्वर आचार्यमहामण्लेडश्वर पूज्यपाद श्री स्वामी अवधेशानन्द गिरि जी महाराज ‘‘पूज्य प्रभुश्री जी’’ दूधेश्वर नाथ मठ मंदिर के पीठाधीश्वर अनंत विभूषित परम पूज्य महंत नारायण गिरी जी महाराज, अखिल भारत हिंदू महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष परम पूज्य चक्रपाणि जी महाराज के पावन सानिध्य में आशीर्वाद प्राप्त कर अपने आप को गौरवान्वित महसूस किया बीके शर्मा हनुमान ने बताया की शास्त्रों के मुताबिक इस तिथि पर महाभारत के रचयिता वेद व्यास का जन्म हुआ था।

इसलिए इसे व्यास पूर्णिमा भी कहते हैं। इस दिन गुरुजनों की उपासना और उनके प्रति आभार व्यक्त करने का विधान है। इसलिए इसी उपलक्ष्य में स्कूल, कॉलेज समेत सभी शैक्षणिक संस्थानों पर गुरुजनों को सम्मानित किया जाता है।दरअसल, हम सभी के जीवन में गुरु का विशेष स्थान होता है। इन्हीं के जरिए व्यक्ति जीवन जीने की कला और लक्ष्यों को पूरा करने का मार्गदर्शन पाता है। इसके अलावा गुरुजनों की सहायता से समय की अहमियत और कठिन समय की पीड़ा समझ आती हैं। यही नहीं गुरु ही सदैव हमें अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाते हैं। इसलिए उनके प्रति प्रेम, लगाव और सम्मान व्यक्त करने के लिए आज का दिन यानी गुरु पूर्णिमा का पर्व बेहद खास है।

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