टैरिफ़ आतंक या भारतीय निर्यातकों के लिए अवसर

medidmd

100 Views

ऋषि तिवारी


नोएडा। एचएचईडब्ल्यूए अमेरिका द्वारा लागू किए गए पारस्परिक शुल्क (Reciprocal Tariffs) के बाद भारत के निर्यातकों पर होने वाले प्रभाव का अध्ययन और चिंतन कर रहा है। हम वर्तमान में वाणिज्य मंत्रालय और EPCH (Exhibition Promotion Council for Handicrafts) एवं HEPC (Handicraft Export Promotion Council) के संपर्क में हैं, ताकि यह समझा जा सके कि इस शुल्क के लागू होने के बाद जो निर्यातकों को समस्याएँ आ सकती हैं, उनका समाधान कैसे निकाला जा सकता है। हम पूर्ण विश्वास रखते हैं कि हमारे माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी और पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप मिलकर भारतीय निर्यातकों के लिए एक उपयुक्त समाधान तलाशेंगे।

अभी हम यह कह सकते हैं कि भारत पर अमेरिका द्वारा 27% तक शुल्क लगाया जा सकता है, विशेष रूप से हैंडीक्राफ्ट, टेक्सटाइल और अन्य उत्पादों पर। हालांकि, अगर अमेरिका से भारत के आयात बढ़ते हैं, तो यह शुल्क कम भी हो सकता है, इसलिए अभी कुछ भी कहना बहुत जल्दबाजी होगी। हमारे निर्यातक अब अपने बायरों के संपर्क में हैं और हम उन्हें यथासंभव प्रयास करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं ताकि शुल्क को कम से कम किया जा सके, जिससे भारत का निर्यात प्रभावित न हो।

अमेरिका के राष्ट्रपति ने 5 अप्रैल 2025 से सभी देशों पर 10% शुल्क लागू किया है और 9 अप्रैल 2025 से 17% का और शुल्क लागू किया जाएगा, जिससे भारत के सामानों पर कुल 27% शुल्क लगेगा। 2024 में, अमेरिका से भारत में कुल आयात $41.75 बिलियन था, जबकि भारत से अमेरिका को कुल निर्यात

एचएचईडब्ल्यूए इस नई अमेरिकी व्यापार नीति के कारण होने वाले प्रभावों का सावधानीपूर्वक अध्ययन कर रहा है और यह भी देख रहा है कि इस विकास से जो अवसर उत्पन्न हो सकते हैं, उनका मूल्यांकन किया जा रहा है।

एचएचईडब्ल्यूए ने देखा कि भारत पर 27% की जो शुल्क दर लगाई गई है, वह चीन (जिस पर पहले 20% शुल्क लगाया गया था) पर लगे 34% शुल्क से कहीं कम है, वियतनाम पर 46%, बांगलादेश पर 37%, थाईलैंड पर 36% और इंडोनेशिया पर 32% शुल्क से भी कम है, ये सभी भारत के निर्यातकों के लिए प्रतिस्पर्धी देश हैं।

हालांकि भारत पर लगाई गई शुल्क दरें जापान पर 24%, दक्षिण कोरिया पर 25%, मलेशिया पर 24%, यूरोपीय संघ पर 20% और यूके और ब्राजील पर 10% शुल्क से अधिक हैं, लेकिन इन देशों में से अधिकांश भारत से प्रतिस्पर्धा नहीं करते हैं, खासकर अमेरिकी बाजार में।

एचएचईडब्ल्यूए का मानना है कि वस्त्र और परिधान जैसे क्षेत्रों में, उदाहरण स्वरूप, भारत को अब अमेरिकी बाजार में वियतनाम, बांगलादेश और चीन जैसे प्रमुख प्रतिस्पर्थियों के मुकाबले एक प्रकार का तुलनात्मक लाभमिल सकता है।

About Author

Contact to us