“राष्ट्रवाद” संस्था द्वारा “राष्ट्रवाद से राम राज्य” गोष्ठी संपन्न हुई

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ऋषि तिवारी


“राष्ट्रवाद” संस्था द्वारा नई दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में “राष्ट्रवाद से राम राज्य” गोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें सैकड़ों लोग उपस्थित हुए, जिसकी अध्यक्षता राष्ट्रवाद के राष्ट्रीय अध्यक्ष रितेश तोमर ने की और इस गोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप में पवन सिन्हा, शैलेंद्र ठाकुर, सुनील भराला (राज्यमंत्री उतर प्रदेश सरकार) रहे ।

मुख्य वक्ता शैलेंद्र ठाकुर ने राष्ट्रवाद की देश को जरूरत क्यों है, बताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ईमानदारी, उनकी राष्ट्रवादी सोच, उनके चरित्र और कार्यपद्धति का उदाहरण देकर उनके संघर्ष को विस्तार से बताया। शैलेंद्र ठाकुर ने कहा कि जब मोदी जी प्रचारक थे तो उनके पैरों में चप्पल नही थी, कई-कई दिन भोजन नहीं मिलता था। उस समय उनके प्रांत प्रचारक नाना जी देशमुख ने उन्हें नंगे पैर देखकर 2 रुपये चप्पल लेने के लिए दिए किंतु 15 दिन बाद फिर नंगे पैर देखने पर कारण पूछा तब श्री मोदी ने बताया कि 3 दिन से भोजन नहीं किया था, पेट की जरूरत पैरों से ज्यादा थी, इसीलिए उन पैसों से भोजन कर लिया था। एक वो दिन थे, उसी मेहनत के परिणाम से आज भारत के प्रधानमंत्री विकसित देशों के प्रधानमंत्रियों के साथ अग्रिम पंक्ति में खड़े होते हैं। ये उनकी ईमानदारी और संघर्ष का ही परिणाम है। आज पूरा विश्व भारत की तरफ आशा और विश्वास से देख रहा है और मोदी जी से कह रहा है कि आप पूरे विश्व की अगुवाई करो।

शैलेंद्र ठाकुर ने भाजपा सरकार की योजनाओं पर विस्तार से प्रकाश डाला, साथ ही राम राज्य की विशेषता बताई। वर्तमान भारत के भविष्य को राम जी के चारित्र के साथ- साथ इजराइल के हाइफा युद्ध में भारत का इजराइल की आजादी में योगदान, महाराणा प्रताप के स्वाभिमानी संघर्ष को विस्तार से बताया। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह, चंद्रशेखर, अटल बिहारी वाजपेई, भैरो सिंह शेखावत, डा. बी. आर अम्बेडकर, महात्मा गांधी, चंद्रशेखर आजाद, सुभाष चंद्र बोस, भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव आदि महापुरुषों की जन्म जयंती मनाने के साथ- साथ बच्चो में महापुरुषों के चरित्र के अनुरूप विकास पर जोर दिया। श्री ठाकुर ने बताया कि राम राज्य की अवधारणा आधुनिक युग में आदर्श शासन या सर्वोत्कृष्ट शासन के रूप में है।

दैहिक दैविक भौतिक तापा, राम राज नहिं काहुहि व्यापा।
सब नर करहिं परस्पर प्रीती, चलहिं स्वधर्म निरत श्रुति नीती।।

अर्थात, राम राज्य में किसी को दैहिक, दैविक, भौतिक कष्ट नहीं था, सब मनुष्य परस्पर प्रेम करते थे और वेदों में बताई हुई नीति (मर्यादा) में तत्पर रह कर अपने- अपने धर्म का पालन करते थे। महात्मा गांधी के अनुसार राम राज्य में राजा अपनी प्रजा की कठिनाइयों को समझते थे, इसीलिए गांधी जी ने आज़ादी के बाद ग्राम स्वराज की परिकल्पना की थी। डाक्टर बी. आर. अंबेडकर ने राम राज्य को लेकर एक गैर पौराणिक धारणा बनाई थी जिसमें निष्पक्षता होनी चाहिए और सभी को समान अवसर मिलने चाहिए।

राम राज्य ही वास्तविक लोकतंत्र है, जहाँ कमजोर से कमजोर नागरिक के लिए भी त्वरित और सरलता से न्याय उपलब्ध हो परन्तु आधुनिक समय में राष्ट्रवाद के बिना राम राज्य की परिकल्पना करना संभव नहीं है क्योंकि राष्ट्रवाद ही वह विचारधारा है जिसमें लोगों की किसी राष्ट्र या देश के प्रति समर्पण और निष्ठा निहित है। जब देश के नागरिकों में राष्ट्र के प्रति समर्पण और निष्ठा की भावना होगी तो एक स्वस्थ, ईमानदार समाज की स्थापना हो सकती है, जो राम राज्य की स्थापना की दिशा में महत्त्वपूर्ण कदम होगा। श्री शैलेंद्र ठाकुर ने कहा कि स्मरण रहे, राष्ट्रवाद में समर्पण और निष्ठा किसी भी व्यक्तिगत हित से सर्वोपरि और महत्वपूर्ण है। समाज में व्याप्त असंतुलन को राष्ट्रवाद की भावना से ही संतुलित किया जा सकता है।

राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रविंद्र चौधरी, अजय शर्मा, भारत भूषण, सुश्री कविता सिंह सहित कई लोगों ने अपने विचार रखे। राष्ट्रवाद के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण कथूरिया जी एवं सौरभ जी ने भी राष्ट्रवाद के विषय में बताया। राष्ट्रीय प्रभारी हरभजन सिंह, राकेश खन्ना, राष्ट्रीय मंत्री श्री राजेश गुप्ता, सचिन पाटिल, कोषाध्यक्ष- प्रकाश चंद्र विशेष वक्ता रहे। दिनकर अर्चना सिंघल, संजीव तिवारी व गणमान्य सदस्य अरुण शर्मा लकी, अंशुल अंबेडकर, विक्रम मानिक, रवि दत्त, सत्येंद्र, दिलीप, जम्मू कश्मीर से विशेष तौर पर आई मंजरी, साथ ही कुलदीप, आभा वह उन सैकड़ों कार्यकर्ता दिल्ली के कांस्टीट्यूशनल क्लब में मौजूद रहे।

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