नोएडा तक पहुंची किडनी कांड की जांच

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ऋषि तिवारी


नोएडा। दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच टीम ने पिछले दिनों अवैध रूप से किडनी ट्रांसप्लांट के आरोप में 7 आरोपियों को गिफ्तार किया था और इस मामले में आरोपियों से पूछताछ करने पर नोएडा के कई नामी अस्पतालों का भी नाम सामने आया है। अब इस मामले में क्राइम ब्रांच टीम नोएडा सेक्टर 39 स्थित सीएमओ ऑफिस में रिकार्ड खंगाले के लिए पहुची हैं। टीम ने किडनी ट्रांसप्लांट की अनुमति से जुड़े रिकॉर्ड जब्त कर लिए हैं। साथ ही जिला स्तरीय अंग प्रत्यारोपण समिति के फैसले भी जांच के दायरे में आ गए हैं।

बता दे कि क्राइम ब्रांच टीम वर्ष 2022 से अब तक किडनी ट्रांसप्लांट के लिए दी गई सभी अनुमतियों की जांच कर रही है। इनमें गौतमबुद्ध नगर के यथार्थ अस्पताल के अलावा फोर्टिस अस्पताल, जेपी और प्राइमाकेयर सुपरस्पेशलिटी अस्पताल में हुए ट्रांसप्लांट के मामले शामिल हैं। बताया जा रहा है कि सीएमओ की तरफ से टीम को किडनी ट्रांसप्लांट से जुड़े सभी दस्तावेज उपलब्ध करा दिए गए हैं। इसमें मरीज और डोनर के दस्तावेज और मेडिकल हिस्ट्री भी शामिल है। वहीं, सीएमओ डॉ. सुनील कुमार शर्मा ने बताया कि जिला स्तरीय अंग प्रत्यारोपण समिति के सामने जो रिकॉर्ड आते हैं। उनकी जांच के बाद ही किडनी ट्रांसप्लांट की अनुमति दी जाती है।

किडनी ट्रांसप्लांट के सभी दस्तावेज करा दिए उपलब्ध
मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय से मिली जानकारी के मुताबिक, क्राइम ब्रांच की टीम ने किडनी ट्रांसप्लांट की अनुमति के मामले में जानकारी मांगी थी। इससे जुड़े सभी दस्तावेज उपलब्ध करा दिए गए हैं। इसमें मरीज और डोनर के दस्तावेज और मेडिकल हिस्ट्री भी शामिल हैं। वहीं, मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर सुनील कुमार शर्मा ने कहा कि जिला स्तरीय अंग प्रत्यारोपण समिति के सामने जो भी रिकॉर्ड आते हैं। उनकी जांच के बाद ही किडनी ट्रांसप्लांट की अनुमति दी जाती है। दिल्ली पुलिस की जांच में स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह से सहयोग करेगा।

समिति ने दी अब तक 119 मामलों की अनुमति
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर सुनील कुमार शर्मा ने इस मामले में किसी भी प्रकार की विभागीय जांच कराने से साफ इंकार कर दिया है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर सुनील कुमार शर्मा के पास इस बात की जानकारी नहीं है कि 2022 से अब तक समिति द्वारा जिन 119 मामलों में अनुमति दी गई है। उनमें से कितने किडनी ट्रांसप्लांट से जुड़े हुए हैं।

सीएमओ की अध्यक्षता में होता है फैसला
साल 2018 के शासनादेश के बाद सीएमओ की अध्यक्षता में जिला स्तरीय अंग प्रत्यारोपण कमेटी का गठन किया गया था। समिति में सीएमओ के अलावा स्वास्थ्य विभाग, एनजीओ और निजी अस्पताल के प्रतिनिधि भी शामिल होते हैं। समिति कैमरे के सामने मरीज और डोनर दोनों से बातचीत कर जरूरी दस्तावेज की जांच कर प्रत्यारोपण की अनुमति देती है। वीडियो रिकॉर्डिंग को भविष्य के लिए साक्ष्य के रूप में भी रखा जाता है। साल 2018 से पहले यह कमेटी जिलाधिकारी की अध्यक्षता में काम करती थी।

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