जीसीपीआरएस की प्रदर्शनी में स्टार्टअप्स का दिखा जलवा

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ऋषि तिवारी


नई दिल्ली। ‘प्लास्टिक रीसाइक्लिंग और स्थिरता पर वैश्विक कॉन्क्लेव’ (GCPRS) का रविवार को समापन हुआ। यह चार दिवसीय कॉन्क्लेव बीते 4 जुलाई को प्रगति मैदान के भारत मंडपम में आयोजित हुआ था। कॉन्क्लेव का उद्देश्य था कि प्लास्टिक कचरे को रिसाइक्लिंग के जरिये ज्यादा से ज्यादा निपटान किया जाए और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में आगे बढ़ते हुए रोजगार के अवसर का सृजन कर देश की अर्थव्यवस्था में योगदान किया जा सके। कॉन्क्लेव का आयोजन अखिल भारतीय प्लास्टिक निर्माता संघ (AIPMA) और पेट्रोकेमिकल्स निर्माता संघ (CPMA) किया गया।

GCPRS में प्लास्टिक वेस्ट रिसाइक्लिंग टेक्नोलॉजी पर प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया। कॉन्क्लेव एवं प्रदर्शनी में देश-विदेश से प्लास्टिक इंडस्ट्री से जुड़े उद्यमियों और विशेषज्ञों ने भाग लिया। इस चार दिवसीय कॉन्क्लेव के तहत पैनल चर्चाओं में ऑटोमोटिव, इलेक्ट्रॉनिक्स और फार्मास्यूटिकल्स जैसे उद्योगों में प्लास्टिक वेस्ट रीसाइकल पर चर्चा हुई। कॉन्क्लेव में वक्ताओं के विचारों से स्पष्ट हुआ कि भारत का प्लास्टिक रीसाइक्लिंग उद्योग तेजी से बढ़ रहा है, और यह वर्ष 2033 तक 6.9 बिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है। कॉन्क्लेव में प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन के महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की गई।

उल्लेखनीय है कि प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन एक वैश्विक मुद्दा है और इसके समाधान के लिए सभी मूल्य श्रृंखला प्रतिभागियों और सरकार के बीच सहयोग आवश्यक है। कॉन्क्लेव में भाग लेने वाले प्लास्टिक उद्योग के उद्यमियों से चर्चा के दौरान यह बात सामने आई कि भारतीय उद्योग प्लास्टिक की सर्कुलरिटी को बेहतर बनाने और नियामक आवश्यकताओं के प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहा है।

इसके आयोजन में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय, स्वच्छ भारत मिशन, वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय (एमएसएमई मंत्रालय), और रसायन और उर्वरक मंत्रालय का विशेष योगदान रहा। केंद्र सरकार बीते कुछ वर्षों से हरित विश्व की संकल्पना के प्रति प्रतिबद्ध है और इसी प्रतिबद्धता के तहत इस आयोजन के लिए विभिन्न मंत्रालयों ने अपना योगदान दिया।

कॉन्क्लेव के आयोजन का तीन सूत्री एजेंडा- पहला, प्लास्टिक अपशिष्ट का प्रबंधन, पुनर्चक्रण और इस प्रक्रिया की सतता बरकरार रखना, दूसरा, रिसाइक्लिंग टेक्नोलॉजी में लगातार हो रहे नये नवाचारों को प्रोत्साहन देना तथा उसके प्रति लोगों को जागरुक करना और तीसरा इस सबके आलोक में देश की परिपत्र अर्थव्यवस्था का मजबूत करना था। कॉन्क्लेव के दौरान आयोजित प्रदर्शनी में इस उद्योग से जुड़े कई नवाचरों को प्रदर्शित किया गया, इसमें इस उद्योग से जुड़े स्टार्टअप्स की बड़ी उपलब्धियां सामने आई। प्रदर्शनी में प्लास्टिक रिसाइकलर, प्लास्टकि वास्ट प्रोसेसर्स, प्लास्टिक मशीनों के निर्माताओं, स्टार्टअप्स, म्यूनीसिपल कॉरपोरेशन और देश-विदेश के इस उद्योग से जुड़े ब्रांड्स ने जोर-शोर से भाग लिया। कुल मिला कर ‘प्लास्टिक रीसाइक्लिंग और स्थिरता पर वैश्विक कॉन्क्लेव’ (GCPRS) अपने उद्देश्यों को पूरा करने में सफल रहा।

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