राम नरेश
पटना। पूर्वी चंपारण जिले के कल्याणपुर प्रखंड के कथवलिया में बन रहे विश्व स्तरीय विराट रामायण मंदिर के दूसरे चरण का कार्य शुरू हो गया है। यह मंदिर अयोध्या के राम मंदिर से तीन गुना बड़ा होगा। यह मान्यता है कि भगवान राम की बारात जनकपुर से लौटने के दौरान यहां पर रुकी थी।
पटना महावीर मंदिर के सचिव आचार्य किशोर कुणाल ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के समक्ष मंदिर की प्रतिकृति को नवंबर 2013 में रखा था। उस समय द्वारका पीठ के स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती भी शामिल हुए थे। आचार्य कुणाल ने पिछले वर्ष राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के राजभवन आने पर मंदिर की प्रतिकृति भेंट की थी। उन्होंने मंदिर के प्रस्तावित उद्घाटन में आने का प्रस्ताव रखा था।
आचार्य किशोर कुणाल के अनुसार मंदिर दो साल में बनकर तैयार हो जाएगा।गांव के हिंदू और मुसलमान लोगों ने मंदिर के लिए जमीन दान की है।किशोर कुणाल ने बताया कि महाबलीपुरम में शिवलिंग को तराशने का काम प्रगति पर है। शिवलिंग को मोतिहारी लाना एक परीक्षा साबित होगा। इसको लाने के लिए बाधाओं को दूर कर लिया जाएगा। उन्होंने बताया कि 20 जून 2023 को पहले चरण का कार्य शुरू हुआ था। जो दस महीने में पूरा हो गया।
इस दौरान 100 फुट की गहराई तक जाकर 3,200 सौ भूमिगत पिलर बनाए गए हैं। दूसरे चरण का भी काम प्रारंभ हो गया है, जिसके तहत प्लिंथ के स्तर से 26 फुट की उंचाई तक का काम होगा। निर्माण हो जाने पर यह 1,080 फुट लंबा, 540 फुट चौड़ा, और 270 फुट उंचा होगा।
अयोध्या के राम मंदिर की लंबाई 360 फुट, चौड़ाई 235 और उंचाई 161 फुट है। विराट रामायण मंदिर परिसर में 22 मंदिर में सबसे बड़ा शिवलिंग स्थापित होगा, जो 33 फुट ऊंचा, 33 फीट गोल और 210 मीट्रिक टन वजन का होगा। इस समय तामिलनाडु के तंजौर में सबसे बड़ा शिवलिंग स्थापित है, जिसे चोल वंश के राजा ने बनवाया था।
किशोर कुणाल ने बताया कि प्लिंथ के बाद तीन फ्लोर बनेंगे। प्रत्येक फ्लोर 18 फुट ऊंचा होगा। दूसरे चरण के काम पर 185 करोड़ रुपये खर्च होंगे। तीसरे चरण में शिखर बनेगा और पूरे मंदिर को अंतिम रूप दिया जाएगा। मंदिर में कुल 12 शिखर होंगे, जिनमें मुख्य शिखर 270 फुट उंचा होगा।
अभी तक मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट ने चंदा नहीं लिया है। मंदिर के निर्माण का खर्च महावीर मंदिर ट्रस्ट अपने आंतरिक स्रोत से कर रहा है। मंदिर का कार्य निविदा के आधार पर मेसर्स सनटेक इंफ्रा सोल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड को दिया गया है, जिसका पर्यवेक्षण टाटा इंजीनियरिंग लिमिटेड करेगी।