ऋषि तिवारी
ओम बिरला को 18वीं लोकसभा का नया स्पीकर चुन लिया गया है। ओम बिरला इतिहास रच लगातार दूसरी बार लोकसभा के अध्यक्ष बनने वाले बीजेपी के पहले नेता है और ऐसा करने वाले छठे व्यक्ति हैं जिन्हें दोबारा लोकसभा का अध्यक्ष बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। बुधवार को ओम बिरला को ध्वनिमत से लोकसभा का नया अध्यक्ष चुन लिया गया है।
ओम बिरला को लोकसभा के अध्यक्ष चुने जाने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें बधाई दी और कहा कि ज्यादातर स्पीकर या तो चुनाव नहीं लड़े या जीतकर नहीं आए। आप जीतकर आए और नया इतिहास रचा है। ओम बिरला लगातार तीसरी बार राजस्थान के कोटा से चुनकर संसद पहुंचे हैं और दूसरी बार वो स्पीकर बने हैं।
48 साल बाद पहली बार स्पीकर के पद के लिए चुनाव हुआ।
एनडीए की ओर से ओम बिरला उम्मीदवार थे तो वहीं, दूसरी ओर इंडी गठबंधन की ओर से के. सुरेश प्रत्याशी थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ओम बिरला के नाम का प्रस्ताव रखा उसके बाद बारी बारी से एनडीए के दूसरे नेताओं ने प्रस्ताव रखा और अनुमोदन किया। इसके बाद विपक्ष की ओर से के सुरेश के नाम का प्रस्ताव रखा गया। फिर प्रोटेम स्पीकर ने ध्वनिमत से प्रस्ताव को पास कर दिया क्योंकि विपक्ष की ओर से वोटिंग या डिविजन की मांग नहीं की गई थी।
ओम बिरला लोक सभा अध्यक्ष के आसन तक पहुंचने वाले राजस्थान के पहले सांसद हैं । वे लगातार दूसरी बार लोकसभा अध्यक्ष निर्वाचित होने के साथ ही बलराम जाखड़ , अयंगार और जी.एम.सी. बालयोगी जैसे सांसदों के विशिष्ट क्लब मे शामिल हो गये हैं। जिन्हें लगातार दो बार लोकसभा अध्यक्ष चुना गया।
पहली स्पीच में ही एकदम अलग रुख
ओम बिरला ने कहा कि 25 जून 1975 को भारत के इतिहास में हमेशा एक काले अध्याय के रूप में जाना जाएगा। इस दिन तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल लगाया और बाबा साहेब अंबेडकर द्वारा बनाए गए संविधान पर हमला किया। आज 18वीं लोकसभा अपनी प्रतिबद्धता को दोहराती है। हम भारत में कानून का शासन और शक्तियों का विकेंद्रीकरण अक्षुण रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने अपनी पहली ही स्पीच में एकदम अलग रुख दिखाया। विपक्ष हक्का-बक्का रह गया। ओम बिरला ने 1975 में इंंदिरा सरकार के द्वारा लगाई गई इमरजेंसी की बरसी पर जमकर सदन में सुनाया। इमरजेंसी को लोकतंत्र के इतिहास का काला अध्याय बताया, कांग्रेस को उसके लिए घेरा और सदन में दो मिनट का मौन भी रखवा दिया।
लोकसभा अध्यक्ष ने कहा, “यह सदन 1975 में आपातकाल लगाने के फैसले की कड़ी निंदा करता है। इसके साथ ही हम उन सभी लोगों के दृढ़ संकल्प की सराहना करते हैं, जिन्होंने आपातकाल का विरोध किया, संघर्ष किया और भारत के लोकतंत्र की रक्षा का दायित्व निभाया।”
ओम बिरला ने आगे कहा कि 25 जून 1975 को भारत के इतिहास में हमेशा एक काले अध्याय के रूप में जाना जाएगा। इस दिन तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल लगाया और बाबा साहेब अंबेडकर द्वारा बनाए गए संविधान पर हमला किया।
भारत पूरी दुनिया में लोकतंत्र की जननी के रूप में जाना जाता है। भारत में हमेशा से लोकतांत्रिक मूल्यों और वाद-विवाद का समर्थन किया गया है।उन्होंने आगे कहा कि लोकतांत्रिक मूल्यों की हमेशा रक्षा की गई है, उन्हें हमेशा प्रोत्साहित किया गया है। ऐसे भारत पर इंदिरा गांधी द्वारा तानाशाही थोपी गई। भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों को कुचला गया और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का गला घोंटा गया।
उन्होंने आगे कहा कि कांग्रेस ने लोकतंत्र सिद्धांत पर आघात किया। इमरजेंसी के दौरान लोगों को कांग्रेस सरकार द्वारा जबरन थोपी गई अनिवार्य नसबंदी का प्रहार झेलना पड़ा. ये सदन उन सभी लोगों प्रति संवेदना जताना चाहता है। इमरजेंसी का काला खंड हमें याद दिलाता है कि कैसे उस वक्त हम सभी पर हमला किया गया। ऐसे समय में जब इमरजेंसी के 50वें वर्ष में प्रवेश कर रहे हैं, ये 18वीं लोकसभा अपनी प्रतिबद्धता को दोहराती है। हम भारत में कानून का शासन और शक्तियों का विकेंद्रीकरण अक्षुण रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं।