Kailash Hospital : चिकित्सा क्षेत्र में एक हब बन चुका है नोएडा

Kailash Hospital

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ऋषि तिवारी


नोएडा। कोविड महामारी के बाद चिकित्सा के क्षेत्र में नई नई खोजों के मामले में पूरी दुनिया काफी संजीदा हो गई है। भारत भी इस मामले में किसी से पीछे नहीं है। तभी तो कहा जाता है कि इलाज की तकनीक में सबसे आगे हिंदुस्तानी ही हैं। उन्हीं हिंदुस्तानियों में कैलाश अस्पताल समूह ने एक खास मुकाम हासिल किया है।

नोएडा की बात करें, तो वह आज चिकित्सा क्षेत्र का एक हब बन चुका है। इस दिशा में कैलाश अस्पताल समूह ने उल्लेखनीय कार्य किए हैं। उन्हीं कार्यों और उपलब्धियों की चर्चा सेक्टर 71 स्थित कैलाश अस्पताल प्रांगण में की गई। मौका था, कैलाश अस्पताल एवं न्यूरो संस्थान, सेक्टर 71 की तीसरी वर्षगांठ का।

संस्थान की छोटी सी शुरुआत और उसके विकास की कहानी
डाइरेक्टर डॉक्टर पल्लवी शर्मा और डॉक्टर श्रीकांत शर्मा ने अस्पताल की अत्याधुनिक सुविधाओं के बारे में विस्तार से बताया। डॉक्टर कर्नल राजेश पराशर ने मीडिया की मजबूत पकड़ का उल्लेख किया और कहा, स्वास्थ्य के क्षेत्र में मीडिया के जरिये ही जागरूकता लाई जा सकती है। डॉक्टर पल्लवी ने संस्थान की छोटी सी शुरुआत और उसके विकास की कहानी को याद किया। उन्होंने कहा, अपने नौ अस्पतालों के साथ कैलाश अस्पताल समूह उत्तर प्रदेश, दिल्ली और उत्तराखंड की जनता की सेवा के प्रति समर्पित है।

दरअसल, कोविड काल में कैलाश अस्पताल समूह ने हजारों लोगों का जीवन बचाया था। और ढाई लाख से अधिक लोगों को कोविड वैक्सीन लगाने में मदद की। आज कैलाश अस्पताल समूह सात आक्सीजन टैंक और आक्सीजन जनरेटर के साथ किसी भी महामारी की आपदा से निपटने में सक्षम है। क्योंकि इस समूह के साथ 128 स्लाइस सीटी स्कैन, कैप्सूल एंडोस्कोपी और ईसीएमओ जैसे नए मेडिकल उपकरण जोड़ दिए गए हैं।

नए पीसीआर लैब में डेढ़ हजार से ज्यादा टेस्ट रोज
कैलाश असपताल समूह ने नया पीसीआर लैब स्थापित किया है। जिसमें 1500 से अधिक टेस्ट प्रतिदिन किए जाते हैं। वायोफायर मल्टीप्लेक्स पीसीआर से सिंड्रोमिक इंफेक्शन डिसीज की जांच अब अधिक आसान हो गई है। प्रोटीन एट्रोफोरेसिस मशीन को भी एक और सुविधा के रूप में शामिल कर लिया गया है।

इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी और न्यूरोलॉजी की भी शुरुआत कर दी गई है। इसमें वसक्यूलर प्रोसीजर जैसे ब्रेन एन्यूलिज्म क्लिपिंग एवं काइलिंग, यूटेराइन आर्टरी एंबोलाइजेशन एवं ब्रोंकियल परक्यूटेनियस, ट्रांस हेपेटिक बिलियरी ड्रेनेज और बसक्यूलर अकलसंस उपचार जैसे जटिल प्रोसीजर को सफलतापूर्वक अंजाम दिया जा रहा है। ये तकनीकी शब्द भले ही आपकी समझ में न आएं, लेकिन जब कैलाश अस्पताल से गंभीर मरीज ठीक होकर बाहर निकलते हैं तो उनके चेहरे की मुस्कान के पीछे इन्हीं तकनीकी शब्दों की भूमिका होती है।

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