अवैध तरीके से किडनी ट्रांसप्लांट कराने वाले रैकेट का भंडाफोड़

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ऋषि तिवारी


नई द‍िल्‍ली। द‍िल्‍ली पुल‍िस क्राइम ब्रांच की इंटरस्‍टेट सेल ने शुक्रवार को क‍िडनी ट्रांसप्‍लांट रैकेट का भंडाफोड़ किया है और इस मामले में रैकेट के सरगना सहित 15 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। बता दे कि गिरफ्तारी के बाद मामले में लगातार खुलासे किए जा रहे हैं। अब रैकेट के सरगना सहित अन्य सदस्यों के बारे में कई जानकारियां निकलकर सामने आ रही है।

प्राप्त जानकारी के मुताबिक, मास्‍टरमाइंड संदीप आर्य नोएडा का रहने वाला है और पब्‍ल‍िक हेल्‍थ में एमबीए डिग्री धारक है। वह द‍िल्‍ली ही नहीं बल्‍क‍ि हर‍ियाणा, मध्‍य प्रदेश, गुजरात राज्‍यों के अलग-अलग शहरों के अस्पतालों में ट्रांसप्लांट कोऑर्डिनेटर के रूप में काम कर चुका है। बता दे कि पूछताछ में खुलासा हुआ क‍ि संदीप आर्य ही मरीजों से संपर्क करता था और वही अस्पतालों में किडनी प्रत्यारोपण का पूरा अरेंजमेंट करता था, जहां उसे ट्रांसप्‍लांट कार्ड‍िनेटर के रूप में तैनात किया गया था।

बता दे कि संदीप आर्य हर किडनी ट्रांसप्लांट के लिए करीब 35-40 लाख रुपये वसूलत किया करता था जिसमें अस्पताल के खर्चे से लेकर डोनर का अरेंजमेंट, रहने खाने की व्‍यवस्‍था और सर्जरी के लिए आवश्यक अन्य कानूनी दस्तावेज का पूरा खर्चा शामिल होता था। हर किडनी ट्रांसप्लांट पर उसको सात से आठ लाख रुपए की बचत होती थी। इस मामले से पहले शालीमार बाग थाना (दिल्ली) के एक क्रेडिट कार्ड धोखाधड़ी मामले में भी संल‍िप्‍त रह चुका है।

देवेंद्र झा 10 कक्षा तक पढ़ाई की है
आरोपी देवेंद्र झा के बारे में सामने आया कि उसने 10वीं कक्षा तक पढ़ाई की है और वह संदीप आर्य का साला बताया जा रहा है। उसी ने अपने अकाउंट की डिटेल्स मुहैया कराई थी, जिसमें शिकायतकर्ता मह‍िला के पति से सात लाख रुपये प्राप्त हुए थे। उसकी भूमिका संदीप आर्य की मदद करना और उसके निर्देश पर पेमेंट र‍िसीव करना था। वह हर केस के लिए 50 हजार रुपए ले रहा था।

ऐसे आया विजय संदीप के संपर्क में
क्राइम ब्रांच ने एक अन्‍य आरोपी विजय कुमार कश्यप उर्फ ​​सुमित को नोएडा से गिरफ्तार क‍िया है, जो मूलरूप से यूपी के लखनऊ का रहने वाला है और वह ग्रेजुएट है। शुरुआत में वह पैसे के बदले अपनी किडनी देने के लिए आरोपी संदीप आर्य के संपर्क में आया था। इसके बाद वह भी इस क्राइम में शामिल हो गया और संदीप आर्य के साथ काम करने लगा। वह भी हर केस के ल‍िए 50 हजार रुपए लेता था। उनकी भूमिका पेशेंट/रिसीवर की लाइफस्‍टाइल और फैम‍िली बैकग्राउंड के मुताब‍िक डोनर्स को तैयार करना और आरोपी संदीप के निर्देशों पर सर्जरी से पहले डोनर्स को सुविधा प्रदान कराना था।

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