कृषि डिजिटल ऋण में क्रांति लाने के लिए नाबार्ड और आरबीआई इनोवेशन हब के बीच सहयोग

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ऋषि तिवारी


नई दिल्ली। नेशनल बैंक फॉर एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलपमेंट (नाबार्ड) ने डिजिटल कृषि ऋण में क्रांति लाने के लक्ष्य के साथ पब्लिक टेक प्लेटफॉर्म फॉर फ्रिक्शनलेस क्रेडिट (पीटीपीएफसी) के साथ एक महत्वपूर्ण साझेदारी की है । इस साझेदारी के तहत, नाबार्ड ने अपने ई-केसीसी ऋण उत्पत्ति प्रणाली पोर्टल (e-KCC loan origination system portal) को पीटीपीएफसी प्लेटफॉर्म से जोड़ा है । बहुतही आसान तरिकेसे ऋणवितरण के लिए यह पब्लिक टेक प्लेटफ़ॉर्म रिज़र्व बैंक इनोवेशन हब (RBIH) के तहत स्थापित एक महत्वपुर्ण तांत्रिक मंच है ।

भारत के अग्रणी विकास बैंक, नाबार्ड ने सहकारी बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (आरआरबी) के लिए डिजिटल किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) ऋण प्रक्रिया को और सरल बनाने के लिए एक ऋण उत्पत्ति प्रणाली पोर्टल विकसित किया है । पीटीपीएफसी के साथ साझेदारी लगभग 351 जिला और राज्य सहकारी बैंकों और 43 आरआरबी को अधिक प्रभावी क्रेडिट अंडरराइटिंग में सक्षम बनाएगी । राज्यों के डिजिटल जमीन रिकॉर्ड, सैटेलाइट डेटा, केवाईसी, क्रेडिट हिस्ट्री और अन्य भाषाओं में उपलब्ध दस्तावेज़ सहित विभिन्न सेवाओं का इस्तेमाल ये बैंक प्रभावी क्रेडिट अंडरराइटिंग के लिए कर सकेंगे । इस महत्वपूर्ण साझेदारी समझौते पर नाबार्ड के अध्यक्ष श्री. के. वी. शाजी और आरबीआईएच के सीईओ श्री. राजेश बंसल ने हस्ताक्षर किये ।

इस अवसर पर बोलते हुए, नाबार्ड के अध्यक्ष श्री के. वी. शाजी ने कहा, “कृषि ऋण के डिजिटलीकरण से बैंकों की दक्षता में सुधार होगा । यह किसानों को त्वरित ऋण वितरण भी सुनिश्चित करेगा, जिससे ग्रामीण समृद्धि बढ़ाने के नाबार्ड के मिशन को आगे बढ़ाया जाएगा ।” नाबार्ड और आरबीआई की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी आरबीआईएच के बीच यह सहयोग ऋण देने की प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाएगा । भारत के 120 मिलियन किसानों के लिए मौजूदा ऋण मंजूरी का समय तीन से चार सप्ताह से घटकर सीधे सिर्फ पांच मिनट रह जाएगा ।

इस समझौते का महत्व स्पष्ट करते हुए श्री. बंसल ने कहा, “यह साझेदारी सिर्फ प्रौद्योगिकी एकीकरण के बारे में नहीं है, यह ग्रामीण अर्थव्यवस्था की पुनर्कल्पना के बारे में भी है । यह साझेदारी हमारे भारतीयों को जलद, अधिक विश्वसनीय ऋण प्रदान करके उन्हें सक्षम बनाने के बारे में है । यह एक अरब भारतीयों को आसानी से वित्तसहाय्य करने के लिए नवीन आविष्कारों का उपयोग करने की हमारी प्रतिबद्धता का प्रतीक है ।”

कागज आधारित ऋण प्रक्रिया में किसानों का काफी समय बर्बाद होता है । खासकर जमीन का रिकार्ड लेने में काफी समय लग जाता है । इस समय का उपयोग वे आय सृजन गतिविधियों के लिए कर सकते हैं । पीटीपीएफसी ने ऋणदाता संस्थानों के लिए विश्वसनीय जानकारी के निरंतर प्रवाह की सुविधा के लिए डिजिटल भूमि रिकॉर्ड प्रदान करने की प्रक्रिया में दस से अधिक राज्यों को शामिल किया है ।

साझेदारी के पायलट चरण में, समझौते को कर्नाटक ग्रामीण बैंक, महाराष्ट्र ग्रामीण बैंक और आंध्र प्रदेश के सहकारी बैंकों सहित चयनित आरआरबी में लागू किया जाएगा । इसका उद्देश्य देश भर के सभी सहकारी बैंकों और आरआरबी में लगभग पांच करोड़ केसीसी ऋण वितरण लक्ष्य तक पहुंचने के लिए इस डिजिटल ऋण वितरण मंच का और विस्तार करना है ।

दोनों संगठनों की यह पहल ऋणदाताओं के परिचालन ओवरहेड्स को काफी कम कर देगी और अधिक व्यक्तियों को ऋण प्रदान करेगी । यह एक अधिक समावेशी और कुशल ग्रामीण आर्थिक पारिस्थितिकी तंत्र को भी बढ़ावा देगा । नाबार्ड और आरबीआईएच दोनों इस सहयोग के लिए प्रतिबद्ध हैं और यह सहयोग विकसित भारत के दृष्टिकोण में बहुत बडा योगदान देगा ।

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