कांग्रेस के 11 विधायकों में से 10 भाजपा में शामिल हो सकते हैं, जिसमें माना जा रहा है कि गोवा कांग्रेस में टूट की औपचारिक घोषणा ही बाकी रह रही है, जिसमें पहले से ही महाराष्ट्र में शिवसेना दो हिस्सों में बंट गई है। महाराष्ट्र की नई सरकार में भाजपा भी शामिल है। जिसमें कोई दो राय नहीं कि गोवा हो या महाराष्ट्र, दोनों ही राज्यों में विपक्षी दलों में फूट के बड़े कारणों में एक भाजपा है। अब तो यह कहा जा रहा है कि भाजपा की नजर उन सभी राज्यों पर है जहां उसे क्षेत्रीय दलों से कड़ी चुनौती मिल रही है। प्राप्त जानाकरी के अनुसार भाजपा अब भी कांग्रेस मुक्त नहीं है, बल्कि विपक्ष मुक्त भारत की नई रणनीति पर आगे बढ़ती जा रही है।
ऋषि तिवारी
मोदी ने दिया था कांग्रेस मुक्त का नारा !
आपको बता दे कि पीएम नरेंद्र मोदी इसी वर्ष 10 फरवरी को गोवा में एक सभा को संबोधित किया था। जिसमें मोदी ने अपना पुराना भाषण याद किया जिसमें उन्होंने पहली बार ‘कांग्रेस मुक्त भारत’ का नारा दिया था। उन्होंने कहा था कि गोवा की धरती पर ही उनके मुंह से सहसा कांग्रेस मुक्त भारत का नारा निकल गया और आज यह नारा देश को करोड़ों नागरिकों का संकल्प बन गया है। आज हाल यह है कि कांग्रेस की सिर्फ दो राज्यों-राजस्थान और छत्तीसगढ़ में अपनी सरकारें हैं। इसके इतर, झारखंड की सरकार में वह शामिल है। महाराष्ट्र में शिवसेना और एनसीपी के साथ महाविकास अघाड़ी सरकार में शामिल थी जिसका शिवसेना में फूट के साथ सफाया हो गया है।
कांग्रेस सिर्फ दो राज्यो में सिमटी
आपको बता दे कि राज्यों में कांग्रेस की दुर्दशा का अंदाजा तो इस बात से लगाया जा सकता है कि पंजाब की सत्ता में रहते हुए भी पिछले चुनाव में बुरी तरह पराजित हुई है। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी की 97% सीटों पर जमानत जब्त हो गई। उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर में हुए विधानसभा चुनावों का ब्योरा देते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में कहा था कि कांग्रेस पार्टी इन राज्यों की 575 सीटों पर चुनाव लड़ी और 475 सीटों पर उनके प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई।
इस समय संसद में भी कमजोर कांग्रेस
लोकसभा चुनावों के लिहाज से भी कांग्रेस की हालत जर्जर हो चुकी है। 2014 के आम चुनावों में कांग्रेस पार्टी को सिर्फ 44 सीटें मिली थीं और अगली बार 2019 के लोकसभा चुनाव में उसके 52 सांसद चुने गए। 1947 में देश की आजादी के वक्त से लगातार सत्ता में रही कांग्रेस का यह हाल, पार्टी की दुर्दशा ही मानी जाएगी। यहां तक कि पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ही उत्तर प्रदेश की अपनी परंपरागत अमेठी सीट हार गए। कांग्रेस के राज्यसभा सांसदों की संख्या भी 31 के आंकड़े तक सीमित हो गई है जबकि बीजेपी का आंकड़ा 90 के पार चला गया है।
कांग्रेस साफ, भाजपा की नजर औरों पर !
आपको बताद दे कि कहा जा सकता है कि देश की राजनीति में कांग्रेस पार्टी लगभग निष्प्रभावी हो गई है। यही कारण है कि भाजपा की नजर अब क्षेत्रीय वंशवादी दलों पर है। हाल ही में हैदराबाद में हुई पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में पीएम मोदी ने वंशवाद को लोकतांत्रिक राजनीति के लिए अभिशाप बताया है। पीएम मोदी के साथ-साथ पूरी भाजपा वंशवादी राजनीति पर लगातार हमले करती रहती है। इसके पीछे रणनीति यह है कि वंशवाद के विरोध की आड़ में ताकतवर प्रतिस्पर्धियों का राज्य दर राज्य सफाया कर दिया जाए।
ऑपरेशन कमल चालू आहे !
कुल मिलाकर कहें तो भाजपा विपक्ष मुक्त भारत के लिए दो रणनीति पर आगे बढ़ती दिखाई दे रही है। पहला- जहां कांग्रेस मुख्य विपक्षी दल है, वहां विधायकों को तोड़ो और जहां क्षेत्रीय दल हैं, वहां वंशवादी नेतृत्व के खिलाफ महत्वाकांक्षी नेताओं के सपनों को हवा दो। वंशवादी पार्टियों की कमजोरी यह है कि उनका कमान अब संस्थापकों की दूसरी या तीसरी पीढ़ी के पास है जिनमें अपने पूर्वजों जैसा राजनीतिक कौशल नहीं है। आरजेडी, सपा, झामुमो जैसी पार्टियां इसकी शानदार मिसाल हैं। भाजपा इस बात से अच्छे से वाकिफ है। इसलिए कहा जा रहा है कि अब जिस किसी में महत्वाकांक्षा के साथ-साथ ताकत का संयोग मिल जाए, उसके कंधे पर भाजपा का हाथ रहेगा। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि ऑपरेशन कमल चालू आहे!