Bihar Politics : बिहार की राजनीति में आया भूचाल

nitish kumar

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राम नरेश ठाकुर


पटना। बिहार की राजनीति में इस वक्त भूचाल आया हुआ गया है, बिहार में अब तक भाजपा समर्थित एनडीए सरकार चल रही थी, लेकिन आज यह गठबंधन टूट गया। जिसमे यह देखा जा है की सियासी घटनाक्रम में अब नीतीश कुमार आरजेडी के साथ मिलकर सरकार बनाएंगे। हालांकि बिहार के लोगों के लिए यह सब कुछ नया नहीं है। क्योंकि राज्य के इतिहास के पन्नों को यदि पलट कर देखा जाए तो पिछले 22 साल में दो बार नीतीश कुमार भाजपा का साथ छोड़ चुके हैं और इसमें भी सबसे कमाल की बात यह रही है कि नीतीश के ऐसे फैसले अक्सर किसी चुनावों के नजदीक आते ही होते है।

आपको बता दे कि बिहार में जेडीयू और भाजपा के बीच गठबंधन 5 साल बाद टूट गया है, जिसमे नीतीश कुमार ने आज मंगलवार शाम 4 बजे राज्यपाल फागू चौहान को अपना इस्तीफा सौंप दिया और तुरंत ही नई सरकार बनाने का दावा भी पेश कर दिया। उन्होंने राज्यपाल को 160 विधायकों के समर्थन की चिट्ठी सौंपी है ।

पूरा दांव 2024 के आम चुनाव को लेकर चला
बिहार में जेडीयू अब एनडीए से अलग हो गई और अब नीतीश कुमार एक बार फिर महागठबंधन के साथ नई सरकार बनाने की कवायद में जुट गए हैं। राज्यपाल को इस्तीफा सौंपने के बाद वे नई सरकार की तैयारी में लगे हैं। हालांकि बिहार के इस घटनाक्रम के बीच एक और चर्चा जोरों पर हैं कि क्या नीतीश कुमार ने ये पूरा दांव 2024 के आम चुनाव को लेकर चला है। क्योंकि लगातार यह कहा जा रहा है कि नीतीश कुमार 2024 में विपक्ष के साझा पीएम उम्मीदवार हो सकते हैं। उपेंद्र कुशवाह के इस ट्वीट ने भी हलचल बढ़ा दी थी, जिसमें उन्होंने कहा था कि नीतीश जी आगे बढ़ो सब आपके साथ है देश आपका इंतजार कर रहा है।

सत्ता का यह नया समीकरण
हालांकि इन सबके के बीच कांग्रेस 2024 के आम चुनाव को लेकर अपना रुख साफ कर दिया है। बिहार में सत्ता का जो नया समीकरण होगा उसके मुताबिक जेडीयू, राजद, कांग्रेस साथ मिलकर सरकार बनाएगी, लेकिन, वहीं इसी बीच बिहार कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अनिल शर्मा ने कहा कि 2024 का लोकसभा चुनाव राहुल गांधी के नेतृत्व में ही लड़ा जाएगा। हालांकि राजनीतिक गलियारों में ये चर्चा जोरों पर हैं कि, महागठबंधन में जो डील हुई है उसके तहत नीतीश कुमार 8-10 महीने तक ही बिहार के सीएम होंगे। उसके बाद वो 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए विपक्ष के पीएम पद के उम्मीदवार होंगे।

इन बातों को तब और हवा मिली जब नीतीश कुमार और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के बीच फोन पर बातचीत हुई और आगे के समीकरणों को लेकर इनमें कुछ सहमति बनी।

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